अनुभूति में अर्चना हरित की रचनाएँ-

छंदमुक्त में-
चाह
तड़प
ले चलो मुझे मेरे साथी

तुकांत में-
अमर प्रेम
ज़िन्दग़ी
धु्रव तारा

संकलन में-
ममतामयी–मां के लिये
गुच्छे भर अमलतास–गर्मी की एक दोपहर
ज्योति पर्व–स्नेह दीप

 

 

 

अमर प्रेम

डूबते सूरज की लाली
मानो मदिरा से भरी प्याली
अतृप्त प्यास ले झुका है आकाश
धरती ने पहना है दुल्हन का लिबास
साँझ के झुरमुट में छुपके
मिलन का रंग बिखरा जाये
शरमा कर कुछ घबरा कर
संध्या की चादर की आड़ लेकर
लाज की लाली लिये छुप गयी धरती
रजनी की ओढ़ सितारों जड़ी चुनरिया
विचार कर तड़प उठा आकाश
टांक दिया चाँद को दे कर प्रेम प्रकाश 
धरती पर बिखरी स्नेह की चाँदनी
बजने लगी फिर मिलन रागिनी
दूर एक दूसरे पर मोहित मन
अमर प्रेम का कैसा यह अटूट बंधन

९ अगस्त २००३

 

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