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अनुभूति में विमलेश त्रिपाठी की रचनाएँ—

नयी रचनाओं में-
एक कविता इस तरह
झूठ मूठ समय के बीच
तुम्हारी हँसी से
तुम्हारी वजह से ही
भोपाल में बारिश
यदि तुम ईश्वर बनना चाहते हो

छंदमुक्त में-
आखर रह जाएँगे
तुम्हारे लिये एक कविता
तुमसे (एक)
तुमसे (दो)
देह की भाषा
बात यहीं खत्म नहीं होती

 

यदि तुम ईश्वर बनना चाहते हो

इच्छा मृत्यु के लिये
एक स्त्री के प्रेम में
पड़ना जरूरी है
मोक्ष के लिये
एक स्त्री देह की जरूरत
भय और ताकत के लिये भी
जरूरी है कि
एक स्त्री सबकुछ भूलकर
सिर्फ तुम्हें प्यार करे

यदि तुम ईश्वर बनना चाहते हो
असुर बनना चाहते हो
पेड़ बनना चाहते हो
जानवर और जंगल बनना चाहते हो
तो तुम्हें एक साथ
कई स्त्रियों से प्रेम करना होगा।

१ मई २०१७

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