सागर का रंग
सागर
तुम्हारा रंग किसी तरह
भर रहे थे
मटमैली तस्वीर में
तुमने जो उड़ेला
क्या हलाहल ही तुम्हारे पास था
पेड़ों पर न चिड़िया थीं
न पत्ते थे, न टहनियाँ
ब्लैक बोर्ड पर लिखा रह गया
एक जो शब्द विनाश था
खुली आँखों में थे जो
इंद्र धनुषी रंग
देखते रह गए कि
समय की यह रंग भी
तुम्हारे पास था
हमें गर्व था कि
समय की पकड़ हमें है
निनो-सेकंड तक
पर काल का न कोई दिन था
न मास था
क्षितिज पर घिरी थी
लंबी काली छाया
पर तुम्हारे सान्निध्य में थे आश्वस्त
पुरी और पारादीप में
तुम्हारा निवास था।
१२ जनवरी २००८ |