फ़ोटो
फ़ोटो चालीस वर्षों से
गाँव में कमरे की पट्टी से लटका रहा
बेटियाँ खूब हँसी
छुटकू-सा मुझे देख कर
सुबह की चौंधियाती किरण को
हाथों से ओट किए
फ़ोटो-एलबम निकाल कर
गर्व से दिखाया मैंने युवा चेहरा
उमर ढलते तक
चेहरे की झुर्रियों से शर्माता
उसी एक फ़ोटो में
स्थिर रहा मेरा परिचय
चेहरे से नवीनतम फ़ोटो की
जब हुई माँग
तो अपना चेहरा लिए
फ़ोटो में ही रो दिया चेहरा
चेहरा जब समय के साथ होगा
तो लौट कर
न हँस सकेगा
न गर्व कर सकेगा
न शरमा सकेगा
न रो सकेगा।
१२ जनवरी २००९ |