अनुभूति में
सुभाष नीरव की रचनाएँ-
छंदमुक्त में-
ठोकरें
नदी
पढ़ना चाहता हूँ
परिंदे
माँ बेटी
हाइकु में-
राह न सूझे (दस हाइकु) |
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राह न सूझे
(१)
राह न सूझे
संकट की घड़ी में
रब सूझता।
(२)
दुख अपना
सुख तो लगता है
इक सपना।
(३)
मासूम हँसी
हर ले आदमी की
थकान सभी।
(४)
यादों के पंछी
अतीत के वन में
हैं विचरते।
(५)
प्रेम छुअन
सिहरा गई कैसे
तन औ’ मन।
(६)
तुम्हारे बिन
जीवन लगे सूना
राह कठिन।
(७)
छोटी-सी चिंता
घबराये मन को
लगे पहाड़।
(८)
मुस्कराहट
वही है सच्ची जब
दिल मुस्काये।
(९)
पेड़ ख़ामोश
आने वाला हो जैसे
कोई तूफ़ान।
(१०)
दूर न पास
पंछी की उड़ान में
सारा आकाश। |