सुभाष नीरव
जन्म- २७ दिसंबर १९५३ को मुरादनगर
(उ प्र ) में एक पंजाबी परिवार में।
शिक्षा- मेरठ विश्वविद्यालय से स्नातक।
कार्यक्षेत्र-हिंदी कथाकार/कवि सुभाष नीरव लगभग पिछले ३५
वर्षों से कहानी, लघुकथा, कविता और अनुवाद विधा में सक्रिय
हैं।
प्रकाशित कृतियाँ-
कहानी-संग्रह ''दैत्य तथा अन्य कहानियाँ (१९९०)'',
''औरत होने का गुनाह (२००३)'' और ''आखिरी पड़ाव का दु:ख(२००७)'' प्रकाशित।
कविता-संग्रह ''यत्किंचित (१९७९)'' और ''रोशनी की लकीर
(२००३)'',
बाल कहानी-संग्रह ''मेहनत की रोटी (२००४)'',
लघुकथा संग्रह ''कथाबिन्दु'' (रूपसिंह चंदेह और हीरालाल नागर
के साथ) अनेकों कहानियाँ, लघुकथाएँ और कविताएँ पंजाबी, तेलगू,
मलयालम और बांगला भाषा में अनूदित हो चुकी हैं।
अनुवाद पंजाबी से हिंदी में- ''काला दौर'', ''पंजाबी की चर्चित
लघुकथाएं'', ''कथा पंजाब-२'', ''कुलवंत सिंह विर्क की चुनिंदा
कहानियाँ'', ''तुम नहीं समझ सकते'' “दर्द, ज़ख़्म और पाप”
(जिन्दर के कहानी संग्रह)'', ''छांग्या रुक्ख'' (पंजाबी के
दलित युवा कवि व लेखक बलबीर माधोपुरी की आत्मकथा), पाये से
बंधा हुआ काल (जतिंदर सिंह हांस का कहानी संग्रह), रेत (हरजीत
अटवाल का उपन्यास) आदि प्रमुख हैं। मूल पंजाबी में लिखी दर्जन
भर कहानियों का आकाशवाणी, दिल्ली से प्रसारण।
हिंदी में लघुकथा लेखन के साथ-साथ, पंजाबी-हिंदी लघुकथाओं के
श्रेष्ठ अनुवाद हेतु ''माता शरबती देवी स्मृति पुरस्कार
१९९२'' तथा ''मंच पुरस्कार, २०००'' से सम्मानित।
चिट्ठे : ‘सेतु
साहित्य’, 'वाटिका',
'साहित्य सृजन',
'गवाक्ष', 'सृजन
यात्रा', और ‘कथा
पंजाब’
सम्प्रति : भारत सरकार के रक्षा मंत्रालय में अनुभाग अधिकारी।
ई मेल :
subhashneerav@gmail.com |
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अनुभूति में
सुभाष नीरव की रचनाएँ-
दोहों में-
अपने मन की पीर
छंदमुक्त में-
ठोकरें
नदी
पढ़ना चाहता हूँ
परिंदे
माँ बेटी
हाइकु में-
राह न सूझे (दस हाइकु)
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