अनुभूति में
श्रद्धा यादव की रचनाएँ
नई रचनाओं में-
अकेले जीने का हौसला
अपना हक
नयी राहें
बस्ती की बेटी
मुखौटे चोरी हो गए
छंदमुक्त में-
एम्मा के नाम पाती
नियति
मुर्दाघर
नन्हीं सी चिड़िया
भय है
भोली सी चाहत
यातना गृह- १
यातना गृह- २
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नियति
हर बार तुम्हें चुन लेती है
नियति भी, नियोक्ता भी
युद्ध को खत्म करने की कीमत
तुम्हारी पीढियों ने चुकाई है
और अभी पूरी तरह से
उबरी भी नहीं थीं उनकी संतानें
कि नियति ने
फिर से चुन लिया तुम्हें
प्राकृतिक आपदा के रुप में
विकिरण के खतरों को
गले लगाने के लिए
जब नियति
बड़ी हो जाती है
चुने हुए फैसलों से
तब हार जाता है मनुष्य
अपने सारे
संसाधनों से लैस
होने के बावजूद।२८ नवंबर २०११ |