अनुभूति में
श्रद्धा यादव की रचनाएँ
नई रचनाओं में-
अकेले जीने का हौसला
अपना हक
नयी राहें
बस्ती की बेटी
मुखौटे चोरी हो गए
छंदमुक्त में-
एम्मा के नाम पाती
नियति
मुर्दाघर
नन्हीं सी चिड़िया
भय है
भोली सी चाहत
यातना गृह- १
यातना गृह- २
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नई राहें
कितना मुश्किल है
तय करना खुद से अपना भविष्य
क्या अच्छा है क्या बुरा
नफे नुकसान के तराजू पर
आने वाले दिनों को तौलना
चुनना किसी को अपने लिए
चुना जाना किसी के द्वारा
पुरानी पड़ती परम्पराओं जैसी
जंग लगते जा रहे तरीकों से
तय करना रिश्तों को
आसान है क्या?
पूर्वाग्रहों की लंबी फेहरिस्त लिए
ढूँढते हैं हम साथी
जीवन का, सोच का, संघर्ष का
इतनी सारी सतहों को
परखने के लिए
पूरा जीवन है कम
फिर भी हम
सम्पूर्णता को पाने का पाले हैं भ्रम
यह सच है कि
पुरानी व्यवस्थाएँ पोली हैं
पर क्या लोगों ने
उनमें से भी राहें नई
नहीं खोलीं हैं।
१ जुलाई २०१७ |