अनुभूति में
शरद पटेल की रचनाएँ
कविताओं में-
उम्मीद
तिमिर
तुम
नये पैगाम
क्षितिज से परे
संकलन में
गुच्छे भर अमलतास-
बूढा लकडहारा |
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उम्मीद
अँधेरे की हर पर्त में,
उम्मीदो की रोशनी ढूँढता हूँ।
घने जंगलों के बीच,
इन्सा की खोज करता हूँ।
आसमान की चादर में कभी,
सपनों को ना रखना,
खुद के सितारों को भी उसने,
ना समझा कभी अपना।
१ फरवरी २००१ |