अंजुमनउपहारकाव्य संगमगीतगौरव ग्राम गौरवग्रंथदोहे पुराने अंक संकलनअभिव्यक्ति कुण्डलियाहाइकुहास्य व्यंग्यक्षणिकाएँदिशांतर

अनुभूति में शरद पटेल की रचनाएँ

कविताओं में-
उम्मीद
तिमिर
तुम
नये पैगाम
क्षितिज से परे

संकलन में
गुच्छे भर अमलतास- बूढा लकडहारा

  क्षितिज से परे

क्षितिज से परे, जाने कब चला जाऊँ,
शायद तुम्हें, ना कभी मिल पाऊँ।
ऐ दोस्त, दिल की दिल में रह जायेगी,
क्या पता ये पाती, तुझ तक आ पायेगी।

जमाने से ना कहेना, मैंने साथ छोडा,
दोस्ती को मैंने, ना कभी यूँ तोड़ा।
एक मुकाम जिन्दगी में ऐसा होता है,
पाने जिसे इन्सा, जिन्दगी खोता हैं।

१ फरवरी २००१
 

इस रचना पर अपने विचार लिखें    दूसरों के विचार पढ़ें 

अंजुमनउपहारकाव्य चर्चाकाव्य संगमकिशोर कोनागौरव ग्राम गौरवग्रंथदोहेरचनाएँ भेजें
नई हवा पाठकनामा पुराने अंक संकलन हाइकु हास्य व्यंग्य क्षणिकाएँ दिशांतर समस्यापूर्ति

© सर्वाधिकार सुरक्षित
अनुभूति व्यक्तिगत अभिरुचि की अव्यवसायिक साहित्यिक पत्रिका है। इसमें प्रकाशित सभी रचनाओं के सर्वाधिकार संबंधित लेखकों अथवा प्रकाशकों के पास सुरक्षित हैं। लेखक अथवा प्रकाशक की लिखित स्वीकृति के बिना इनके किसी भी अंश के पुनर्प्रकाशन की अनुमति नहीं है। यह पत्रिका प्रत्येक सोमवार को परिवर्धित होती है

hit counter