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अनुभूति में शरद पटेल की रचनाएँ

कविताओं में-
उम्मीद
तिमिर
तुम
नये पैगाम
क्षितिज से परे

संकलन में
गुच्छे भर अमलतास- बूढा लकडहारा

  तुम

तुम भले न थीं
द्वार तो खुला था
उम्मीदों पर जीने का
आधार तो मिला था।
अब तो द्वार बंद हो चला
किसकी लूँ अब और दुआ
ताकि दहलीज पर रखे सर
देख सकूँ तुझे एक नजर।


१ फरवरी २००१
 

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