अनुभूति में
शरद पटेल की रचनाएँ
कविताओं में-
उम्मीद
तिमिर
तुम
नये पैगाम
क्षितिज से परे
संकलन में
गुच्छे भर अमलतास-
बूढा लकडहारा |
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नये पैगाम
पर्वत के पीछे डूबता सूरज
मुठ्ठी भर धूप की लकीरें
फेंकता है मेरी ओर
कह रहा हो जैसे
मित्र
गुजार देना रात अँधेरी इनके सहारे
मिलूँगा फिर कल सुबह लेकर नये पैगाम
किंतु
स्याही अँधेरी रात की न मलना तू
अपने बदन को
रखना सँभाल के
अपने हर कदम को
जूझ रहा हूँ क्षण क्षण
इन अँधेरों से
प्रतीक्षा में उस सूरज की
लायेगा जो नया पैगाम।
१ फरवरी २००१ |