अनुभूति में
सावित्री तिवारी 'आज़मी' की रचनाएँ-
नई रचना—
अपने तो आख़िर अपने हैं
कविताओं में—
आओ दीप जलाएँ
कर्म-
दो मुझको वरदान प्रभू
पर्यावरण की चिंता
फिर से जवां होंगे हम
वेदना
शिक्षक
सच्चा सुख
संकलन में—
जग का मेला–
मिक्की माउस की शादी
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वेदना
जितनी हुई वेदना तुमको, इस
दुनिया में लाने में
उससे अधिक व्यथित हूँ, तुमको मंज़िल तक पहुँचाने में।
लाख किया कोशिश न निकले, एक
भी आँसू उस पल में।
अब तो रहें बरसती आँखें, बिना बात भी पल-पल में।
जन्म की साथी ही बन पाई, यही
काम था बस में मेरे।
अब तो करे विधाता निर्णय, क्या लिखा है भाग्य में तेरे।
किससे कहूँ समझ ना आए, कौन
करे कुछ हल्की पीड़ा।
किसमें है मानवता इतनी, थाम सके जो तेरा बीड़ा।
कहे 'आज़मी' तू भी बन जा,
मेरे जैसी हिम्मतवाली।
सहनशक्ति इस कदर बढ़ा ले, फिर कहलाए किस्मतवाली।
16 फरवरी 2005 |