अनुभूति में
सावित्री तिवारी 'आज़मी' की रचनाएँ-
नई रचना—
अपने तो आख़िर अपने हैं
कविताओं में—
आओ दीप जलाएँ
कर्म-
दो मुझको वरदान प्रभू
पर्यावरण की चिंता
फिर से जवां होंगे हम
वेदना
शिक्षक
सच्चा सुख
संकलन में—
जग का मेला–
मिक्की माउस की शादी
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आओ दीप जलाएँ
दीपों का त्यौहार दिवाली,
आओ दीप जलाएँ।
हर दिल को खुशियाँ बाँटें,
हर दिल में प्यार जगाएँ।।
हो आदान-प्रदान मिठाई,
सबको दें सौगातें।
मीठी-मीठी याद रहे,
बिसरा दें कड़वी बातें।।
स्वागत करें लक्ष्मी का,
वरदान चलो मिल माँगे।
धन दौलत सुख शांति दे माँ,
दु:ख दरिद्र सब भागें।।
कहे 'आज़मी' मैं चाहूँ,
हर रोज़ दिवाली आए।
मेहमानों पकवानों संग,
फुलझड़ियाँ दीप जलाएँ।।
24 अक्तूबर 2005 |