अनुभूति में
सविता मिश्रा
की
रचनाएँ -
नयी रचनाओं में-
उन बच्चों के लिये
काश! ऐसा होता
घसियारिनें
बित्ता भर रोशनी
समुद्र के तट पर
छंदमुक्त में-
अप्पू
थोड़ी-सी जगह
बेखबर लड़की
याद
रह-रह कर |
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उन बच्चों के
लिये
उन बच्चों के लिये
लिखी जानी चाहिए कविता
जिनकी साँसों में
घुल रही हैं दहशती हवाएँ
जिनके भीतर
उतर रहे हैं अख़बारों में तड़पते शब्द
और मीडिया की सनसनीदार खबरें
हमें रचनी होगी दुनिया
उन मासूम बच्चों के लिये
दिखानी होंगी नई दिशाएँ
शब्दों के कंधों पर बिठाकर
शब्द पुल होते हैं
शब्द कंधा होते हैं
शब्द दस्तक होते हैं
शब्द हवा, धूप, खुशबू और संगीत होते हैं
आओ शुरु कर दें यात्रा बच्चों के साथ
उन्हें कंधों पर बैठा कर
पुल से गुजरते हुए
हवा, धूप, खुशबू और संगीत भरा
आसमान देते हुए। |