अनुभूति में
सचिन श्रीवास्तव की रचनाएँ—
छंदमुक्त में—
इस समय- चार कविताएँ
कसैली संभावना
तकरीबन आख़िरी
नीयत तुम्हारी नियति हमारी
मकान जो कहीं नहीं है
माफी
लफ़्ज़
सच से बड़ी उम्मीद
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लफ्ज
उसने कहा- प्रेम
और वह मुस्कुरा दी
उसने कहा- इश्क
उसकी शरारती आँखों में झाँकने लगा एक सपना
उसके मुँह से निकला- मुहब्बत
वह अपने में सिमट गई
अचानक उनके बीच गूँजा- लव
वह उठी
और तेज कदमों से चल दी
कभी न लौटने के लिए
१५ मार्च २०१० |