चन्द दीवानों पे
चन्द दीवानों पे दीवाने हुए हैं
लोग जाने आज क्या ठाने हुए हैं
देवता बनकर पुजापा ले रहे जो
हाथ अपने खून में साने हुए हैं
अंकुरित होने लगे हैं बीज विष के
हम उन्हीं को कल्पतरु माने हुए हैं
आदमी की जान लेने पर तुले हैं
ये इबादतघर जिबहखाने हुए हैं
कल तुम्हरी मौत का कारण बनेंगे
आज तुम पर छत्र जो ताने हुए हैं
२१ अप्रैल २०१४
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