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अनुभूति में राजेन्द्र नागदेव की रचनाएँ-

कविताओं में-
आषाढ़ में बारिश, एक लँगड़ा और मेघदूत
यह समय
तुम्हें कब्र में
समय झरता रहा
बस यूँ ही
डायनासॉर
रिमोट कंट्रोल

संकलन में-
गाँव में अलाव - एक ठंडी रात

 

रिमोट कन्ट्रोल

कभी-कभी
जब आँधियाँ नहीं चलतीं
और लौ थरथराती नहीं है
कंदील के अन्दर
जब कुछ भी
ऐसा नहीं होता
कि जिसके
सतत अथवा असतत
होते रहने से
स्थापित समीकरण बिगड़ने लगें
तब एक महीन प्राणी
बहुत दीर्घ स्वप्नों में खो जाता है
धीमी-धीमी जल रही कंदील पर
बैठा हुआ पतंगा
गोबर पुती दीवार पर
हज़ार गुना बृहद हो जाता है
यद्यपि इस सत्य से
वह थोड़ा-बहुत अवगत है
कि दीवार पर का वह
वह नहीं है
उसकी प्रतिच्छाया है
और हवा का एक शालीन झोंका भी
कुल दस जुगनुओं को
छोड़कर भीतर चला आए
तो मा्रत्र इतना होने से ही
सघन अहम् तरल होकर
दीवार पर बह सकता है
यूँ स्वयं कंदील का बुझ जाना तो
उस बृहद् आकार का
घने अंधकार के महाजलधि में
घुल कर
समाप्त हो जाना है ही
पतंगा फिर भी बार-बार
अपनी लघु काया को सगर्व
दीवार पर विस्तीर्ण छाया में
स्थापित करता है
किसी अन्य के रिमोट कन्ट्रोल से
नियंत्रित
कितनी ही बार नासमझ
एक रात में जीता है
कितनी ही बार
एक रात में मरता है।

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