अनुभूति में ऋषभदेव शर्मा
की रचनाएँ-
नयी तेवरियों में-
पकने लगी फसल
मार्च आँधी
यह डगर कठिन है
यह समय है झूठ का
राजा सब नंगे होते
मुक्तक में-
बत्तीस मुक्तक
क्षणिकाओं में-
बहरापन (पाँच क्षणिकाएँ)
छंदमुक्त में-
दुआ
मैं झूठ हूँ
सूँ साँ माणस गंध
तेवरियों में-
रोटी दस तेवरियाँ
लोकतंत्र दस तेवरियाँ
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यह डगर कठिन है
यह डगर कठिन है, तलवार दुधारी है
घात लगा कर बैठा क्रूर शिकारी है
वे भला समर्पण-श्रद्धा क्या पहचानें
उनके हाथों में नफ़रत की आरी है
ईरान कहें या अफ़ग़ानिस्तान कहें
घर-बाहर कोड़ों की ज़द में नारी है
मुट्ठी में ले जिसने आकाश निचोड़ा
कोमल मन लेकर वह सबसे हारी है
आदम के बेटों के पंजे शैतानी
नई सदी की यह त्रासद लाचारी है
१ सितंबर २०२३ |