अनुभूति में ऋषभदेव शर्मा
की रचनाएँ-
क्षणिकाओं में-
बहरापन (पाँच क्षणिकाएँ)
छंदमुक्त में-
दुआ
मैं झूठ हूँ
सूँ साँ माणस गंध
तेवरियों में-
रोटी दस तेवरियाँ
लोकतंत्र दस तेवरियाँ
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मैं झूठ हूँ
मैं झूठ हूँ, फरेब हूँ, पाखंड
बड़ा हूँ
लेकिन तुम्हारे सत्य के पैरों में पड़ा हूँ
हीरा भी नहीं हूँ खरा मोती भी नहीं हूँ
फिर भी तुम्हारी स्वर्ण की मुंदरी में जड़ा हूँ
सब चूडियों को भाग्य से मेरे जलन हुई
मैं आपकी कोमल कलाइयों का कड़ा हूँ
दुनिया तो लड़ी द्वेष से,
नफ़रत से, क्रोध से
मैं जब भी लड़ा तुमसे मुहब्बत से लड़ा हूँ
काँटा हूँ, दर्द ही सदा
देता हूँ मैं तुम्हें
मैं जानता हूँ, मैं तुम्हारे दिल में गड़ा हूँ
१
दिसंबर २००८
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