ये रिश्ते
काँटों से चुभकर
फूलोंसे खिलनेवाले
ये रिश्ते!
दुपहर से जलाकर
सूर्यास्त से भानेवाले
ये रिश्ते!
पहचान के किसी मोड़ पर
अज़नबी बन जानेवाले
ये रिश्ते!
आकाश बन कर
ओस से चू पड़नेवाले
ये रिश्ते!
इन के बिना भी जिया नहीं जाता
इन के साथ भी जिया नहीं जाता!
लेकिन
उस पार पहुँचने के लिये
कागज़ ही की सही - एक नाव चाहिये !
जीने के लिये
सपना ही सही अपना चाहिये !
अस्मिता संदर्भ ही सही
एक रिश्ता चाहिये!
|