राजेश्वरी
पांढरीपांडे
जीवन के प्रारंभ का अधिकांश समय
नागपुर मध्य प्रदेश एवम मुंबई में व्यतीत हुआ। मुंबई विश्वविद्यालय
से संस्कृत में डॉक्टरेट की उपाधि, ततपश्चात् अमेरिका के इलिनॉय
विश्वविद्यालय से भाषाविज्ञान में एम ए एवम् पुन: डॉक्टरेट की
उपाधि प्राप्त की। कुछ समय तक इसी विश्वविद्यालय में हिन्दी शिशण।
संप्रति : इसी विश्वविद्यालय में "प्रोगराम फॉर रिलिजियस स्टडी"
की डायरेक्टर एवं भाषाविज्ञान तथा संस्कृत तुलनात्मक साहित्य एवम्
रिलिजियस स्टडी के क्षेत्र में अध्यापन और शोध कार्य। विभिन्न शोध
पत्रिकाओं में कई शोधपत्र का प्रकाशन। चार पुस्तकें प्रकाशित।
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अनुभूति में
राजेश्वरी पांढरीपांडे की
रचनाएँ -
:छंदमुक्त
में-
अपनापन
अभिमानी
उतना ही
खो दिये
चम्मचभर मैं
नासमझ
ये रिश्ते
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