कविताओं में अधिकार नीड़ बिना पाल वाली नाव बसंत के इंतज़ार में मैं तुम्हारी बेटी हूँ शब्द की हथेलियों में
चिड़िया उड़ती है आकाश में परों को तौलती असीम विस्तार में सपनों का स्वर्ग रचती
दूर घोंसले से रहकर भी भूलती नहीं है वह
साँझ को घर लौटना।
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