मैं तुम्हारी बेटी
हूँ दवाओं की जहरीली गंध
और
ठंडे सफेद औजार
मुझे डर लग रहा है माँ
मैं चीखना चाहती हूँ
मैं जानती हूँ
तुम्हें मेरी जरूरत नहीं है
मगर यह भी तो सच है ना माँ
कि बेटी शिराओं में रक्त नहीं
प्यार बहता है
जैसे तुम्हारी सांसों में
तुम्हारी माँ की खुशबू
मेरी दुनिया
अभी बहुत छोटी है माँ
मुझे ढूँढ़ ही लेंगे
शिकारी पंजे
मैंने तो अभी देखा ही नहीं
समुन्दर और आसमान
हवा कैसी होती है माँ
और कैसी होती है खुशबू
तुम्हारी देह गंध से अलग होकर
मैं बिखर जाऊँगी माँ
क्या सचमुच मैं
तुमसे दूर चली जाऊँगी
मैं जीना चाहती हूँ माँ
तुम्हारी ममता की
आखरी उम्मीद पर। |