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गुड़िया
गुड़िया
मन तो होता है
तेरे अंदर की हर हलचल
पढ़ लूँ
तेरी ओर आने वाली
हर गर्म हवा
अपनी तरफ कर लूँ।
जब तुम स्कूल जाती हो
तो
मेरी प्राण वायु
तुम्हारे साथ जाती है।
मेरी नन्हीं जान के पैर पर
किसी बच्चे का पैर न आ जाए
खेल के समय
किसी आकस्मिक धक्के से
गिर न पड़े
हाथ में पकड़ा खाना
छूट न जाए
पनी का टम्बलर
छलक न आए
धूप झुलसा न दे
वैन में धक्का न लगे।
और
जब तुम मेरी गोदी में
आती हो
लगता है वामनावतार ले मैंने
तीनों लोकों पर विजय पा ली है।
ब्राह्मण्ड की सारी सम्पदाएँ
सारे सुख
मेरे आँचल में सिमट आए हैं।
मेरी जॉन
मेरी आँखों के इन्द्र धनुष
तुम्हारे ही रचे हैं।
१५ नवंबर २०१५ |