यादें
यादें आती हैं
जब
जब बैठे हों
कुछ अच्छा करने
कुछ नया रचने।
यादें आती हैं,
गलियों की, दरवाज़ों की
यात्राओं की
यादें क्यों आती है
झझकोरने या फिर
पछतावा देने
बुरी यादें नहीं आती
हाँ
बुरी यादें नहीं आती
बुरी यादें जब भी आती है
मैं
मुस्कुरा देता हूँ।
२१ दिसंबर २००९ |