अनुभूति में
कुँअर रवीन्द्र की रचनाएँ-
नई रचनाओं में-
औरत
किसी नगर के भग्नावशेषों मे
तुम्हारा होना या न
होना
मेरे सामने
मैंने तुम्हें
छंदमुक्त में-
बस्तर-एक
बस्तर-दो
तुम्हारा पत्र
यादें |
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औरत
औरत....
बहुत सारे शब्द
बहुत सारे मायने
निःशब्द
निस्तब्ध,स्तब्ध
निःसंदेह
और खामोशी...
देह से
देह में
देह तक
दरवाजे के भीतर
जूझती
जोहती
सहेजती
ता उम्र भ्रम पाले
एक दिन हो जाती है राख
सपनों के साथ। २४
दिसंबर २०१२ |