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अनुभूति में कुँअर रवीन्द्र की रचनाएँ-

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किसी नगर के भग्नावशेषों मे
तुम्हारा होना या न होना
मेरे सामने
मैंने तुम्हें

छंदमुक्त में-
बस्तर-एक
बस्तर-दो
तुम्हारा पत्र
यादें

 

किसी नगर के भग्नावशेषों में

किसी नगर के
भग्नावशेषों के बीच खडी
कल बहुत उदास थी रात..

उसे पत्थरों के नीचे
दबे हुए मिल गए थे
कुछ आँसुओं के अवशेष
कुछ जंग खाए वादे
आस-पास ही
संवेदनाओं के सूखे स्रोत
और
पके-अधपके कुछ सपनों के
टूटे हुए टुकड़े भी मिले थे

अवशेषों के बीच खडी
कल बहुत उदास थी रात

२४ दिसंबर २०१२

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अनुभूति व्यक्तिगत अभिरुचि की अव्यवसायिक साहित्यिक पत्रिका है। इसमें प्रकाशित सभी रचनाओं के सर्वाधिकार संबंधित लेखकों अथवा प्रकाशकों के पास सुरक्षित हैं। लेखक अथवा प्रकाशक की लिखित स्वीकृति के बिना इनके किसी भी अंश के पुनर्प्रकाशन की अनुमति नहीं है। यह पत्रिका प्रत्येक सोमवार को परिवर्धित होती है

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