अनुभूति में
कुँअर रवीन्द्र की रचनाएँ-
नई रचनाओं में-
औरत
किसी नगर के भग्नावशेषों मे
तुम्हारा होना या न
होना
मेरे सामने
मैंने तुम्हें
छंदमुक्त में-
बस्तर-एक
बस्तर-दो
तुम्हारा पत्र
यादें |
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मेरे सामने
मेरे सामने है
एक दृश्य
या उसका चेहरा
बेहद कोमल रंगों से भरा
मगर
एक लम्बी अंतहीन दूरी
और सन्नाटे की काली लकीर भी
झुर्रियों की तरह खिची हुई है
मेरे सामने है
उसका चेहरा
या एक दृश्य
छुअन से लजाई
एक किनारे सिमटी ,बहती नदी
मिलन की प्रफुल्लता से भरा
क्षितिज
और ..
नई सृष्टि की कल्पना में
अपलक आकाशगंगा को निहारता
क्रौंच का एक जोड़ा भी
मेरे सामने है
एक चेहरा एक दृश्य
और ..
पृथ्वी से आकाशगंगा की दूरी
२४ दिसंबर २०१२ |