अनुभूति में देवेन्द्र रिणवा की रचनाएँ- कविताओं में- और शब्द भी हैं कुरेदा नहीं जाता जब अलाव दुहरा हुआ जाता है पेड़ परछाँई बीमार यह जो तरल है याद नहीं आता हाँ नहीं
और शब्द भी हैं हवा, पानी. मिट्टी आग और आकाश ही नहीं शब्द भी है देह की संरचना में
शब्द हवा को गति की पानी को शीतलता की मिट्टी को उर्वरा की और आकाश को विस्तार की गरिमा प्रदान करता है
देह से शब्द जब अलग हो जाता है मृत्यु हो जाती है
इस रचना पर अपने विचार लिखें दूसरों के विचार पढ़ें
अंजुमन। उपहार। काव्य चर्चा। काव्य संगम। किशोर कोना। गौरव ग्राम। गौरवग्रंथ। दोहे। रचनाएँ भेजें नई हवा। पाठकनामा। पुराने अंक। संकलन। हाइकु। हास्य व्यंग्य। क्षणिकाएँ। दिशांतर। समस्यापूर्ति
© सर्वाधिकार सुरक्षित अनुभूति व्यक्तिगत अभिरुचि की अव्यवसायिक साहित्यिक पत्रिका है। इसमें प्रकाशित सभी रचनाओं के सर्वाधिकार संबंधित लेखकों अथवा प्रकाशकों के पास सुरक्षित हैं। लेखक अथवा प्रकाशक की लिखित स्वीकृति के बिना इनके किसी भी अंश के पुनर्प्रकाशन की अनुमति नहीं है। यह पत्रिका प्रत्येक सोमवार को परिवर्धित होती है