अनुभूति में विनोद
तिवारी
की रचनाएँ-
नई रचनाओं में-
कुछ इस क़दर
चलते जाने का धर्म
ज़मीन पाँव तले
सड़कें भरीं
हर दिशा
में
अंजुमन में-
आपस में लड़कर
काल की तेज़ धारा
देखे दुनिया जहान
पल निकल जाएँगे |
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सड़कें भरीं
सड़कें भरीं जुलूस की आहो-कराह से
होते रहे सदन में बहस-औ-मुबाहसे
यह हादसा भी कोई भला हादसा हुआ
देखे हुए है देश खतरनाक हादसे
कुछ गालियों का ताप हवा में घुला-सा है
इक दिल-जला अभी-अभी गुजरा है राह से
शब्दों में आप-हम दो सगे भाइयों-से हैं
पर अर्थ कितना भिन्न है ज़ाहिर निगाह से
मुस्कान आपकी बहुत दिलकश लगी मगर
हम जानते हैं आपके दिल हैं सियाह -से
मतलब-परस्त पक्ष में थे या विपक्ष में
बाक़ी शरीफ़ लोग रहे ख़ाम-ख़्वाह-से
२८ फरवरी २०११ |