अनुभूति में विनोद
तिवारी
की रचनाएँ-
नई रचनाओं में-
कुछ इस क़दर
चलते जाने का धर्म
ज़मीन पाँव तले
सड़कें भरीं
हर दिशा
में
अंजुमन में-
आपस में लड़कर
काल की तेज़ धारा
देखे दुनिया जहान
पल निकल जाएँगे |
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देखे दुनिया जहान
देखे दुनिया जहान चिड़िया ने
मापा कुल आसमान चिड़िया ने।
ऊँची ऊँची अटारियों से कहा
देखो मेरी उड़ान, चिड़िया ने।
मीठा मीठा सा गीत गाया है
कितना उस बेज़ुबान चिड़िया ने।
बिन किराये के ले लिया मुझसे
एक हिस्सा मकान चिड़िया ने।
वक़्त गुज़रा मगर न आने दी
पास अपने थकान चिड़िया ने।
तिनका तिनका चढ़े अकेले ही
उम्र के पायदान चिड़िया ने।
नन्हीं जाँ, हौसले से पास किया
हर बड़ा इम्तिहान चिड़िया ने।
२० जुलाई २००९ |