अनुभूति में
रमा प्रवीर वर्मा की रचनाएँ-
नयी रचनाओं में-
कहो जो भी
ख्वाब था जो
दिल किसी का
वो याद बन के
हाल दिल का
अंजुमन में-
अगर प्यार से
काम जब बनता नहीं
क्या खबर थी
तुमको सदा माँगते हैं
दिल ये चाहता है
नहीं मुश्किल
बस यही इक गम रहा
बात बने
मत खराब कर
यों न फासला रखना
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वो याद बन के
वो याद बनके हमेशा ही चश्मे-तर में रहा
भले ही दूर था फिर भी मेरे जिगर में रहा
जो दूसरों के दर्द बाँटता रहा हँसकर
खुदा भी जिंदा हमेशा उसी बशर में रहा
मुकाम उनको मिला जिनको था यकीं खुद पर
यहाँ खड़ा है वही जो अगर मगर में रहा
अना की कैद से आया नहीं कभी बाहर
भले ही मुश्किलों के साथ वो सफर में रहा
न हाल दिल का बता पाया था कभी खुलकर
तमाम उम्र ही वो जाने कैसे डर में रहा
जो पेश आता था हरदम ही मोतबर की तरह
रमा वो दुश्मनों सा आज रहगुजर मे रहा
१ अगस्त २०२२ |