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अनुभूति में रमा प्रवीर वर्मा की रचनाएँ-

नयी रचनओं में
काम जब बनता नहीं
क्या खबर थी
दिल ये चाहता है
बस यही इक गम रहा
मत खराब कर

अंजुमन में-
अगर प्यार से
तुमको सदा माँगते हैं
नहीं मुश्किल
बात बने
यों न फासला रखना

 

दिल ये चाहता है

दिल ये चाहता है तेरी बाहों में मर जाऊँ मैं
छोड़ कर दर ये तेरा और किधर जाऊँ मैं

तेरी आँखों में मुहब्बत का समंदर देखा
डूब जाऊँ या किनारे पे ठहर जाऊँ मैं

हम न बिछड़ेंगे कभी आज ये वादा है मेरा
हिज्र से पहले ही दुनिया से गुजर जाऊँ मैं

अपने हिस्से की खुशी नाम तुम्हारे कर दूँ
दूर हो जाऊँ या फिर तुझ में उतर जाऊँ मैं

एक मुद्दत से थी पिन्हाँ यही ख्वाहिश दिल में
आईना तुमको बनालूँ औ संवर जाऊँ मैं

आरजू हद से ज़ियादा तो नहीं है मेरी
साथ बस तू ही रहे अब तो जिधर जाऊँ मैं

तू हसीं ख्वाब मेरा तुझको ही देखा मैं करूँ
बंद करके तुझे पलकों में ही मर जाऊँ मैं

मैं तो खुशबू हूँ "रमा" फूलों पे ठहरी ठहरी
तू जो छू ले तो हवाओं में बिखर जाऊँ मैं

१ सितंबर २०१८

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