अनुभूति में
रमा प्रवीर वर्मा की रचनाएँ-
नयी रचनओं में
काम जब बनता नहीं
क्या खबर थी
दिल ये चाहता है
बस यही इक गम रहा
मत खराब कर
अंजुमन में-
अगर प्यार से
तुमको सदा माँगते हैं
नहीं मुश्किल
बात बने
यों न फासला रखना
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क्या खबर थी
क्या खबर थी आप जैसा बेवफ़ा मिल जायेगा
हम वफ़ा करते रहेंगे पर दगा मिल जाएगा
शख्स जो हँसता हुआ दिखता है उसके दिल में भी
देखने से दर्द का तूफां दबा मिल जाएगा
हम चले थे ख्वाहिशें खुशियों की लेकर राह में
क्या पता था गम का कोई सिलसिला मिल जाएगा
तीरगी का गम न कर, तू कर शुरू अपना सफर
एक दीपक राह में जलता हुआ मिल जाएगा
सच की पैरोकारी में रिश्ते भी टूटेंगे मगर
बाँट लेगा दर्द जो रिश्ता नया मिल जाएगा
जिन्दगी में करके सेवा देख लो माँ बाप की
शक्ल में इंसान की तुमको खुदा मिल जाएगा
हौसले की बात है बाकी 'रमा' कुछ भी नहीं
है यकीं खुद पे तो समझो रास्ता मिल जाएगा
१ सितंबर २०१८ |