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अनुभूति में रमा प्रवीर वर्मा की रचनाएँ-

नयी रचनओं में
काम जब बनता नहीं
क्या खबर थी
दिल ये चाहता है
बस यही इक गम रहा
मत खराब कर

अंजुमन में-
अगर प्यार से
तुमको सदा माँगते हैं
नहीं मुश्किल
बात बने
यों न फासला रखना

  यों न फासला रखना

दरमियाँ यों न फ़ासला रखना
प्यार का कुछ तो कायदा रखना

मुश्किलें राह में मिलेंगी पर
हौसला दिल में तुम सदा रखना

गैर कहना नहीं कभी हमको
कुछ तो हमसे भी राबिता रखना

दिल की वादी में छा गई रौनक
तुम भी फूलों सी ही अदा रखना

दूर चाहे रहो निगाहों से
संग यादों का काफिला रखना

चारसू नफरतों का साया है
खुद को इनसे जरा बचा रखना

ऐब औरों के देखना लेकिन
सामने एक आइना रखना

बिन तेरे जिंदगी नहीं कुछ भी
याद ये बात तुम "रमा" रखना

१५ फरवरी २०१७

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