अनुभूति में
प्रवीण पारीक अंशु की रचनाएँ—
गीतों में-
अब चिता में
कौन दूसरा समझेगा
गीत नया मैं गाता हूँ
या तो मुझको
हल्की धूप
अंजुमन में—
दीवानों का हाल
शायरी की किताब
सागर में हूँ
सुर में गीत
है कौन
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गीत नया
मैं गाता हूँ
लो, गीत नया मैं गाता हूँ
वो गीत कि जिसमें रंगत हो
लय-ताल, सुरों की संगत हो
शब्दों की सजावट हो, जैसे
उड़ते बगुलों की पंगत हो
बैठो तुम पास कल्पनाओं!
भावों की सेज सजाता हूँ
लो, गीत नया मैं गाता हूँ
निर्माण लिखा, संहार लिखा
कुछ प्रेम प्यार, शृंगार लिखा
वात्सल्य लिखा, कुछ हास्य लिखा
लेकिन दुख बारंबार लिखा
भर जाती गीतों की गगरी
मैं जब जब अश्रु बहाता हूँ
लो, गीत नया मैं गाता हूँ
अब हँसना है, रो लिया बहुत
अब पाना है, खो लिया बहुत
दुक्खों की काली रातों में
अब जगना है, सो लिया बहुत
जब तक न उदय हो दिनकर, मैं
आशा का दीप जलाता हूँ
लो, गीत नया मैं गाता हूँ
कोशिश है, अब मुस्काऊँगा
अब दर्द न कोई गाऊँगा
जग के भीषण कोलाहल में
मुरली की तान सुनाऊँगा
तुम अपने मन की सुन लेना
मैं अपना हाल सुनाता हूँ
लो, गीत नया मैं गाता हूँ
१ फरवरी २०२४ |