अनुभूति में
प्रवीण पारीक अंशु की रचनाएँ—
अंजुमन में—
दीवानों का हाल
शायरी की किताब
सागर में हूँ
सुर में गीत
है कौन
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शायरी की
किताब
वो शायरी की किताब रखना
और उसमें ताज़ा गुलाब रखना
वो दिन जवानी के क्या हसीं थे
बना के खुद को नवाब रखना
उसी की बातें, उसी की यादें
उसी का पलकों पे ख़्वाब रखना
भले ही दिल में हों दर्द लाखों
हँसी लबों पर जनाब, रखना
खुशी के पल उँगलियों पे गिन लूँ
ग़मों का मुश्किल हिसाब रखना
नये ज़माने का ये शहर है
यहाँ जरुरी नक़ाब रखना
भले न क़िस्मत दे साथ, फिर भी
सजाए आँखों में ख़्वाब रखना
सवाल मुश्किल तो कुछ नहीं था
न आया लेकिन, जवाब रखना
१ जून २०२३ |