अनुभूति में
प्रवीण पारीक अंशु की रचनाएँ—
अंजुमन में—
दीवानों का हाल
शायरी की किताब
सागर में हूँ
सुर में गीत
है कौन
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है कौन
है कौन इस जहाँ में जिसको ग़म कभी मिला नहीं
है कौन-सी हयात जिसको दर्द ने छुआ नहीं
सुना है, पहले मर - मिटे थे लोग सत्य के लिए
जो सच पे जान वार दे, वो आजकल दिखा नहीं
ये शायरी, ये मौसिकी, ये दोस्तों की महफ़िलें
वो आदमी ही क्या है जिसका इनसे राब्ता नहीं
उगेगा सूर्य सुब्ह जो, वो शाम को ढलेगा ही
है तय जो वक्त मौत का, वो आज तक टला नहीं
जो सामने हो मुश्किलें तो छोड़िए न हौसला
मिली उसे ही मंजिलें जो राह में रुका नहीं
१ जून २०२३ |