अनुभूति में
कपिल कुमार की रचनाएँ-
अंजुमन में-
अच्छा हो
जब कभी हमला किया है
ज़िन्दगी चलने लगी
तितलियों के साथ
कुंडलिया में-
जीते मन तो जीत
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जब कभी हमला
किया है
जब कभी हमला किया है बेवजह कठिनाइयों ने
सामना उनका किया है पुण्य की अच्छाइयों ने
छोड़ कर जाते सभी, आता न कोई संग अपना
देखिए तो साथ उस पल भी दिया तन्हाइयों ने
चल रहे, चलते रहेंगे कारवाँ नादानियों के
हर घड़ी दुनिया बचाई सत्य की गहराइयों ने
दूर देशों से हवा बहती रही, कहती रही है
वेद-मंत्रों को सुनाया आज तक पुरवाइयों ने
गीत-ग़ज़लों से दग़ा जब-जब मिली कवि-शाइरों को
साथ उनका तब निभाया मुक्तकों-रूबाइयों ने
जो मिला, जैसा मिला, जिसको मिला, उसका नहीं
तार जोड़े हैं सुरीले-से ‘कपिल’ शहनाइयों ने
२४ जून २०१३ |