यहाँ लोगों की आपस
में ठनी है यहाँ लोगों की
आपस में ठनी है
ये बस्ती है या कोई छावनी है
उसे मालूम क्या पिकनिक का मतलब
वो निर्धन-सी कोई मजदूरनी है
हुआ है आज घर तकसीम यारो
कि इक दीवार आँगन में बनी है
सिरहाने मीर के बैठा हुआ हूँ,
कोई आवाज़-सी मैंने सुनी है!
जो खुद गलने लगी है मोमबत्ती
मेरे कमरे में उससे रोशनी है
भिखारिन ने कभी सोचा कहाँ है
फटी कितनी जगह से ओढ़नी है!
१६ अप्रैल २००३ |