ऐसे कर्फ्यू में
ऐसे कर्फ्यू में भला कौन है आने
वाला
गश्त पे एक सिपाही है पुराने वाला
सामने शहर का जलता हुआ मंज़र
रखके
कितना बेकैफ है तस्वीर बनाने वाला
वक्त, मैं तेरी तरह तेज़ नहीं
चल सकता
दूसरा ढूँढ़ कोई साथ निभाने वाला
मोम के तार में अंगारे पिरो दूँ
यारो
मैं भी कर गुज़रूँ कोई काम दिखाने वाला
ऐसा लगता है कि ये दिन जो अभी
गुज़रा है
एक बच्चा था बहुत शोर मचाने वाला
एक काग़ज़ के सफीने से मुहब्बत
कैसी
डूब जाएगा अभी तैर के जाने वाला
१६ अप्रैल २००३ |