खूब लुभाती मुंबई
शहर हमारा जो भी देखे उस पर छाए जादू
हरा समंदर कर देता है हर दिल को बेकाबू
ताजमहल में ताज़ा काफ़ी जो भी पीने आए
चर्चगेट की चकाचौंध में वो आशिक़ बन जाए
चौपाटी की चाट चटपटी मन में प्यार
जगाती है
भेलपुरी खाते ही दिल की हर खिड़की खुल जाती है
कमला नेहरु पार्क पहुँचकर खो जाता
जो फूलों में
प्यार के नग़मे वो गाता है एस्सेल वर्ल्ड के झूलों में
जुहू बीच पर सुबह-शाम जो पानी-पूरी
खाए
वही इश्क़ की बाज़ी जीते दुल्हन घर ले आए
नई नवेली दुल्हन जैसी हर पल लगती नई
सबको ऊँचे ख़्वाब दिखाकर खूब लुभाती मुंबई
२८ अप्रैल २००८ |