दिल वालों की बस्ती
दिल वालों की बस्ती है
यहाँ मौज और मस्ती है
पत्थर दिल है ये दुनिया
मजबूरों पर हँसती है
खुशियों की इक झलक मिले
सबकी रूह तरसती है
क्यों ना दरिया पार करें
हिम्मत की जब कश्ती है
हर इक इंसां के दिल में
अरमानों की बस्ती है
महँगी है हर चीज़ मियाँ
मौत यहाँ पर सस्ती है
उससे आँख मिलाएँ, वो
सुना है ऊँची हस्ती है
२८ अप्रैल २००८ |