गणपति स्वस्ति करें
जन जन के सूने मंदिर से
गहरा तमस हरें
ज्योति से झिलमिल दीप धरें
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तन
मन रंजित कण कण गुंजित
पूरब से पश्चिम तक प्रचलित
कोटि कोटि कंठों से घोषित
शुभ ओंकार करें
सकल विश्व के विस्तृत प्रांगण
मंद मंद बुहरें
चेतना लक्ष्मी चरण धरें गणपति
स्वस्ति करें
भारत की इस पुण्य-धरा से
अन्तर्कलह हरें
ज्योति से झिलमिल दीप धरें
1
ज्ञान---ध्यान---विज्ञान---समेकित
देवभूमि---हो---पुनः---व्यवस्थित
धन-धान्य-से सहज विभूषित
ऋद्धि-सिद्धि विहरें
जीर्ण शीर्ण संस्कृति के पथ का
नव निर्माण करें
देश में सुख सौभाग्य भरें
गणपति स्वस्ति करें
इस दीपावलि के प्रकाश में
मंगलाचरण करें
ज्योति से झिलमिल दीप धरें - पूर्णिमा वर्मन
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