11बेपेंदी
के लोटे
ये गोल गोल, ये ढोलमोल
ना लम्बे हैं, ना छोटे हैं
ये बेपेंदी के लोटे हैं
है रीढ़ नहीं, हैं दांत नहीं
इनके कोई सिद्धांत नहीं
ये ब्रह्मचर्य की दिव्य देह पर
ढीले बँधे लंगोटे हैं
ये गोल गोल ये ढोलमोल
ना लम्बे हैं ना छोटे हैं
ये बेपेंदी के लोटे हैं
इनको वह कुछ स्वीकार नहीं
जिसका ढीला आकार नहीं
ये उतना ज्यादा शोर करें
जब होते जितने थोथे हैं
ये गोल गोल ये ढोलमोल
ना लम्बे हैं ना छोटे हैं
ये बेपेंदी के लोटे हैं
ये इधर जायें ये उधर जायें
सुविधा ढलान पर उतर जायें
जो अवसर देखा लगा लिया
इन पर अनगिनत मुखौटे हैं
ये गोल गोल ये ढोलमोल
ना लम्बे हैं ना छोटे हैं
ये बेपेंदी के लोटे हैं
-वीरेंद्र जैन
मित्रों,
अनुभूति का 16 जून का अंक अमलतास विशेषांक होगा। इस अवसर पर अमलतास से
संबंधित आपकी कविताएँ, गीत, ग़ज़ल, दोहे, क्षणिकाएँ तथा अन्य विधाओं
में रचनाएँ आमंत्रित हैं। रचना हमारे पास 1 जून तक अवश्य पहुँच जानी
चाहिए। --टीम अनुभूति |
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