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अनुभूति में नईम की रचनाएं-

गीतों में-
अपने हर अस्वस्थ समय को
क्या कहेंगे लोग
करतूतों जैसे ही
काशी साधे नहीं सध रही
किसकी कुशलक्षेम पूछें
खून का आँसू
पानी उछाल के
प्रार्थना गीत
फिर कब आएंगे
महाकाल के इस प्रवाह में
लगने जैसा
शामिल कभी न हो पाया मैं
हम तुम
हो न सके हम

 

प्रार्थना गीत

प्यासे को पानी,
भूखे को दो रोटी
मौला दे! दाता दे!!

आसमान की बात न जानूं
जनगण भाग्य विधाता दे!
धरती और आकाश न मांगूं,
या ईश्वरीय प्रकाश न मांगूं,
मांगे हूं दो गज ज़मीन बस -
मैं शाही आवास न मांगूं
पापों को पनहीं,
परधनियां मोटी-सौंटी,
सिर को साफा छाता दे।

मज़हब नहीं भीख का कोई,
भीख न होती ब्राह्मण, भोई,
अमरीका, यूरोप भले दे -
होती नहीं दूध की धोई
इनके हैं हम पांसे,
तो उनकी हम गोटी,
हमें हमारा त्राता दे!
जनगण मंगल गाथा दे।

नियम युद्ध के दफ्न हो गये
पुरखे जाने कहां से गये,
कुरूक्षेत्रों में खड़े हुए दिन -
कृष्ण न जाने कहां खो गए?
स्वजन पड़ौसों में बैठे,
भर रहे चिकोटी -
शवरी और सुजाता दे!
मौला दे! दाता दे!!

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अनुभूति व्यक्तिगत अभिरुचि की अव्यवसायिक साहित्यिक पत्रिका है। इसमें प्रकाशित सभी रचनाओं के सर्वाधिकार संबंधित लेखकों अथवा प्रकाशकों के पास सुरक्षित हैं। लेखक अथवा प्रकाशक की लिखित स्वीकृति के बिना इनके किसी भी अंश के पुनर्प्रकाशन की अनुमति नहीं है। यह पत्रिका प्रत्येक सोमवार को परिवर्धित होती है

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