अनुभूति में सुमन
कुमार घई की रचनाएँ-
छंदमुक्त में-
कैसी वसंत ऋतु
खो चुका परिचय
चीत्कार
जीवन क्रम
प्रेम कहानी
प्रेम के दो भाव
मनदीप पुकार
मैं उसे ढूँढता हूँ
वह पेड़ टूट गया
क्षणिकाओं में-
वसंत
संकलनों में-
वसंती हवा-
काश मिलो तुम भी
धूप के पाँव-
गरमी की अलसाई सुबह
वर्षा मंगल–
सावन और विरह
गाँव में अलाव –
स्मृतियों के अलाव
गुच्छे भर अमलतास–
अप्रैल और बरसात
शुभकामनाएँ
नया साल–
नव वर्ष की मंगल वेला पर
–नव
वर्ष के गुब्बारे
जग का मेला–
गुड्डूराजा
|
|
मैं उसे ढूँढता हूँ
मैं उसे ढूँढता हूँ
१
घड़ी के हर पल में
काल अटल में
नियती के छल में
मैं वह निश्छल ढूँढता हूँ
२
इस जीवन मरन का
इस वय के अयन का
सूत्र है जो वयन का
उसका छोर ढूँढता हूँ
३
सदय की अनुकम्पा
औ' अमिय की उत्कंठा
निहित है हृदय में शंका
कोई पथप्रज्ञ ढूँढता हूँ
४
दूर से है तू दिखता
सान्निध्य में तू छिपता
यह लुका–छिपी का
खेल तुझ से न खेलता हूँ
५
प्रलोभन हर लुभाता
पथ भी भूल जाता
पर भूला न कहलाता
हर सांझ घर लौटता हूँ
घर लौट फिर उसे ढूँढता हूँ
मैं उसे ढूँढता हूँ
मैं उसे ढूँढता हूँ |