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अनुभूति में रजनी भार्गव की रचनाएँ —


हाइकु में-
सर्दी की धूप

छंदमुक्त में-
अनसुनी आवाज़
गरमी की एक दोपहर
घर
धूप
प्रतीक्षा
बसंत
मेरी कहानी
मौन प्रतीक
लहरों का गाँव
सीमित दायरे

संकलन में-
जग का मेली- जुगनू
नया साल- नव वर्ष के कोरे पन्नों पर
वर्षा मंगल- बचपन का सावन
वसंती हवा- बासंती सपने
होली है- होली कुछ चित्र

 

घर

आँखों में तैरते हैं कुछ बिंब,
मिट्टी का आँगन,
इधर-उधर उगती कुछ घास,
पेड़ पर बैठी गौरैया,
दरवाज़े के पीछे कुछ कमरे,
बीच में चौक,
चौक में आला,
आले में मटके
और मटकों पर से रिसता पानी,
कमरों में कुछ बोलती आवाज़ें
और चंद तस्वीरें,
ये घर की परिभाषा है
मेरा स्वरूप लिए,
घर से दूर एक नीड़ फिर बन रहा है,
मेरा अतीत अब वर्तमान बन रहा है।

२४ सितंबर २००७

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