| क्रिसमस  छुटि्टयों का मौसम हैत्योहार की तैयारी है
 रौशन हैं इमारतें
 जैसे जन्नत पधारी है
 कड़ाके की ठंड हैऔर बादल भी भारी है
 बावजूद इसके लोगों में जोश है
 और बच्चे मार रहे किलकारी हैं
 यहाँ तक कि पतझड़ की पत्तियाँ भी
 लग रही सबको प्यारी हैं
 दे रहे हैं वो भी दान
 जो धन के पुजारी हैं।
 खुश हैं ख़रीदारऔर व्यस्त व्यापारी हैं
 खुशहाल हैं दोनों
 जबकि दोनों ही उधारी हैं
 भूल गई यीशु का जनमये दुनिया संसारी है
 भाग रही है उसके पीछे
 जिसे हो हो हो की बीमारी है
 लाल सूट और सफ़ेद दाढ़ीक्या शान से सँवारी है
 मिलता है वो मॉल में
 पक्का बाज़ारी है
 बच्चे हैं उसके दीवानेजैसे जादू की पिटारी है
 झूम रहे हैं जम्हूरे वैसे
 जैसे झूमता मदारी हैं
 राहुल उपाध्याय
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